Introduction to Ayurveda (आयुर्वेद परिचय)
आयुर्वेद के पर्याय वाचक शब्द (Synonyms of Ayurveda)
महर्षि चरकानुसार- आयुर्वेद, शाखा, विद्या, सूत्र, ज्ञान, शास्त्र, लक्षण, तंत्र
(सन्दर्भ: च. सू. ३०/३१)
आयुर्वेद की निरुक्ति
आयुर्वेद = आयुष + वेद
आयुर्वेद दो शब्दों “आयुष” और “वेद” के योग से बना है |
आयु = जीवन, वेद = शास्त्र, जानना, ज्ञात होना, पाना,
|| आयुर्वेदयतीत्यायुर्वेद: || च.सू. ३०/२२
|| आयुरस्मिन् विद्यते अनेन वा आयुर्विन्दतीत्यायुर्वेद: || च.सू. १/१३
अर्थात् जिसके द्वारा आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त हो उसे आयुर्वेद कहते हैं |
आयुर्वेद लक्षण
चतुर्विध आयु अर्थात् हितायु, अहितायु, सुखायु एवं दुखायु के अनुसार पथ्य- अपथ्य का वर्णन जिसमें किया गया हो; आयु का प्रमाण एवं आयु का स्वरुप जिसमे कहा गया हो उसे आयुर्वेद कहते हैं | यही आयुर्वेद का लक्षण है |
|| हिताहितं सुखं दु:खमायुस्तस्य हिताहितम्
मानं च तच्च यत्रोक्तम् आयुर्वेदः स उच्यते || च.सू. १/४१
आयु का स्वरुप एवं आयु के पर्याय
|| शरीरेन्द्रियसत्वात्मसंयोगो धारि जीवितम्
नित्यगस्चानुबंधस्च पर्यायेरायुरुच्यते || च.सू. १/४२
आयु के पर्याय वाचक शब्द शरीरेंद्रियसत्वात्मसंयोग, धारि, जीवित, नित्यग, अनुबंध हैं, एवं ये ही आयु के स्वरुप हैं | मतलब, इन शब्दों का अर्थ ज्ञात होने से आयु का स्वरुप ज्ञात होता है |
जैसे- शरीरेंद्रियसत्वात्मसंयोग का अर्थ है- पांचभौतिक शरीर, चक्षुरादि इन्द्रियां, सत्व (मन) और आत्मा, ये सभी जितने समय तक किसी पुरुष में संयोगात्मक रूप से रहते हैं, उतनी उस पुरुष की आयु होती है |
धारि- पांचभौतिक शरीर, चक्षुरादि इन्द्रियां, सत्व (मन) और आत्मा के परस्पर संयोग को धारण करने वाले को धारि कहते हैं |
जीवित- इन सभी को जीवितावस्था में रखने वाले को जीवित कहते हैं |
नित्यग- नित्य (सदैव, प्रतिक्षण) गमनशील होने वाले को नित्यग कहते हैं |
अनुबंध- (bonding) हमेशा बंधित रहना, एक साथ रहना, एक दूसरे के बिना अस्तित्वहीन होना; इस प्रकार सभी का एक साथ संयोग रूप से अनुबंधित रहने के कारण आयु को अनुबंध भी कहते हैं |