हम सभी को कभी न कभी या अक्सर यात्रा करना पड़ता है । कुछ लोगों को यात्रा करना अच्छा लगता है तो दूसरी तरफ कुछ लोग बोर हो जाते हैं । यात्रा के दौरान या बाद में हमें स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से भी रूबरू होना पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार अधिक यात्रा करना वात दोष को प्रकुपित करता है । कई बार यात्रा के दौरान रात में जागना भी पड़ता है या फिर नींद पूरी नहीं हो पाती है । रात्रि जागरण भी वात दोष को प्रकुपित करता है । यात्रा में हमारा भोजन या आहार भी समयानुसार नहीं हो पाता है, हमें असात्म्य या अनुचित भोजन भी सेवन करना पड़ता है जिनमें oily, spicy और junk foods शामिल हैं । ये सभी चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं । ऐसे आहार पित्त दोष को प्रकुपित करते हैं । अत्यधिक यात्रा करने वालों को इसी कारण अक्सर वात एवं पित्त दोष सम्बन्धी विकार एवं व्याधियां होती है जैसे- विबंध (constipation), अजीर्ण (indigestion), अग्निमान्द्य (loss of appetite), अम्लपित्त (acidity), अनिद्रा (insomnia) इत्यादि ।
यदि हम कुछ बातों का ध्यान रखें और पहले से कुछ आवश्यक सामग्रियों को अपने साथ लेकर यात्रा करें तो हम इन बिमारियों से बच सकते हैं ।
- यात्रा के दौरान खाने के लिए घर का बना हुआ पौष्टिक एवम सुपाच्य आहार रखें । oily, spicy और junk foods से परहेज करें ।
- खाने में आप रात में भीगे हुए चने, मूंग, मूंगफली, रोटी, सब्जी, छाछ/ मही, फल, सलाद का उपभोग करें । ये चीजें पचने में आसान होती हैं ।
- भिंडी, छोले, मटर, राजमा, कटहल, बैगन, फूलगोभी, उड़द, खटाई आदि से परहेज करें ।
- यात्रा के समय अधिक देर तक खाली पेट भी नहीं रहना चाहिये क्योंकि इसकी वजह से गैस सम्बन्धी परेशानी हो सकती है ।
- कुछ लोगों की आदत होती है कि वे पूरे सफ़र के दौरान कुछ न कुछ खाते रहते हैं । आयुर्वेद में इसे अध्यशन कहा जाता है । जब तक पहले का खाया हुआ जीर्ण (पाचन) न हो जाये तब तक हमें कुछ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे अजीर्ण (indigestion) हो जाता है और आमदोष का निर्माण होता है ।
- यात्रा के दौरान अधिक से अधिक पानी पियें । पानी पीते रहने से पाचन क्रिया सरल हो जाती है एवं हमारे शरीर के toxins भी सरलता से बाहर निकल जाते हैं ।
- अगर सोने या लेटने की व्यवस्था हो तो ज्यादा समय लेटकर बिताये, इससे अनावश्यक थकान से बचा जा सकता है ।
- Train में यात्रा करते समय पीने का पानी खत्म हो जाता है और हम station पर नल का पानी भर लेते हैं जो कि नुकसान कर सकता है क्योंकि हर जगह का पानी हमें तुरंत सात्म्य (अनुकुल) नहीं होता और कफ दोष प्रकुपित हो जाते हैं जिससे सर्दी जुकाम जैसी सामान्य बीमारियाँ हो जाती हैं । Mineral water या purified water इस्तेमाल करना उचित है ।
- अगर संभव हो सके तो थोड़ी देर कुछ सामान्य प्राणायाम किया जा सकता है जैसे भस्त्रिका (deep breathing) एवं कपालभांति । अगर इन दो प्राणायामों को आप धीरे धीरे करेंगे तो आपके सहयात्री को पता भी नहीं चलेगा और आपके स्वास्थ्य की देखभाल भी हो जाएगी । भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए आप सीधे बैठें और धीरे धीरे लम्बी गहरी साँस लें (inhalation) । फिर धीरे धीरे सांस छोड़ें (exhalation) | भस्त्रिका प्राणायाम करने से हमारे शरीर को अधिक मात्रा में oxygen (प्राण वायु) मिलती है जो कि चय-अपचय प्रक्रिया (metabolism) को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु बहुत आवश्यक है । प्राणवायु पर्याप्त मात्रा में मिलने पर शरीर की थकान भी दूर होती है । कपालभांति प्राणायाम करने के लिए हमें सिर्फ सांस छोड़ने में ध्यान देना होता है । इसमें हमे झटके के साथ सांस छोड़ना होता है । सामान्यतः एक सेकंड में एक stroke देना होता है एवं आवश्यकतानुसार पर्यांप्त वायु दो strokes के अंतराल में स्वतः प्रविष्ट हो जाती है । कपालभांति करने से हमारी आंतें सक्रिय रहती हैं एवं पाचन क्रिया सुधरता है ।
- आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खों (home remedies) का प्रयोग भी रोग की प्रारंभिक अवस्था से निजात दिलाता है या उसे होने नहीं देता । आप अपने साथ यात्रा में इन्हीं नुस्खों पर आधारित कुछ औषधियां लेकर चलें ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप इनका सेवन कर सकें । जैसे त्रिफला चूर्ण (हरड, बहेड़ा, आंवला तीनो बराबर मात्रा मे) कब्ज, गैस, अफारा में 1/2 से 1 चम्मच तक पानी से लें । पाचक चूर्ण (जीरा, मेथी, अजवायन, सौंफ, धनिया, सेंधा नमक 20-20 ग्राम, हींग 5 ग्राम) 1/2 से 1 चम्मच तक पानी से भोजन के बाद लें । High BP के रोगी सेंधा नमक न मिलाएं ।