कोष्ठ शुद्धिकरण... आयुर्वेद में रोगों की चिकित्सा का प्रथम कदम। (Best herbal remedy to clear motion daily without any side effect)
आयुर्वेद में कोष्ठ शोधन का विशेष महत्त्व है। यह माना जाता है कि किसी भी रोग की चिकित्सा करने से पहले कोष्ठ शुद्धि हो जाने पर कुछ हद तक दोषों का निर्हरण हो जाता है और शमन औषधियां भी फिर शीघ्र लाभप्रद होती है। कोष्ठ के शोधन हेतु विभिन्न प्रकार कि औषधियां उपलब्ध हैं जैसे हरीतकी चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, अभयादि मोदक, इच्छाभेदी रस, अविपत्तिकर चूर्ण, एरण्ड तेल इत्यादि। इनमे से अधिकांश औषधियां नित्य विरेचन (रोजाना प्रयोग) हेतु उपयुक्त नहीं है। त्रिफला चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण मृदु विरेचक होता है जिसे लम्बे समय तक लिया जा सकता है पर हर रोगी चूर्ण नहीं ले पाता। इसके अलावा अधिक दिनों तक चूर्ण लेने पर आंते रुक्ष होने लगती है।
LAXMAX CAPSULES नित्य विरेचनार्थ एक उपयुक्त औषधि है, जिसका सेवन 1 से 2 कैप्सूल की मात्रा में रोज रात में गुनगुने पानी से लम्बे समय तक किया जा सकता है। इसके प्रमुख घटक में स्वर्णपत्री, त्रिफला, गिलोय, नीम, हल्दी, कुटकी, मरीच, पुदीना एवं दारुहरिद्रा है।
स्वर्णपत्री एवं त्रिफला की मात्रा सिर्फ इतनी ही है कि वह आँतों को बिना उत्तेजित किये मलोत्सर्ग में सहायक हो। इसके अलावा अन्य घटकों का कार्य निम्नानुसार है:
1. गिलोय: त्रिदोष शामक एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना।
2. नीम: कृमिनाशक एवं आँतों के संक्रमण को रोकना।
3. हल्दी: कृमिघ्न, रोगप्रतिरोधक एवं व्रण रोपक
4. कुटकी: लीवर के उत्तम अनुपूरक एवं टॉनिक, विदग्ध पित्त का रेचन कर बाहर निकालता है।
5. मरीच: आँतों में एकत्रित दूषित आम का अवशोषण करता है।
6. पुदीना: आँतों में होने वाले शोथ को कम करता है एवं जलीयांश की पर्याप्त मात्रा बनाये रखता है।
7. दारुहरिद्रा: यह एक श्रेष्ठ व्रणरोपक है। यह anti fungal, anti-bacterial, anti-oxidant, anti-viral, anti-diabetic, anti-tumor और anti-inflammatory गुणों से युक्त होता है।
LAXMAX CAPSULE के सेवन से तुरंत जुलाब नहीं लगते और न ही अगले दिन सुबह मल पतला होकर बाहर निकलता है। यह अत्यंत सौम्य नित्य विरेचक औषधि है जो आँतों को सबल बनाती हुई मल का शोधन करती है।
LAXMAX CAPSULE के बारे में अधिक जानकारी के लिए विजिट करें: http://ayurvitewellness.com/product/laxmax-capsules/